रामचरित मानस

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... * सुनेउँ पुनीत राम गुन ग्रामा। तुम्हरी कृपाँ लहेउँ बिश्रामा॥ एक बात प्रभु पूँछउँ तोही। कहहु बुझाइ कृपानिधि मोही॥4॥ भावार्थ:-मैंने आपकी कृपा से श्री रामचंद्रजी के पवित्र गुण समूहों को ...

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